Friday, November 4, 2022

सर्वेश्वर ( new age Krishna) 4

 सर्वेश्वर ( new age Krishna) 4


एक दिन सुबह ब्रेकफास्ट टेबलपर मोहन और रुक्मिणी मे बात होती है। तब रुक्मिणी उन्हे याद दिलाती है के अगले महिने उनके शादी की सालगिराह है और तबतक उनके बच्चे भी वापस आनेवाले है। मोहन हसकर बोलते है के यह सालगिराह हम अच्छेसे मनाएंगे। जब मोहन ऑफिस जानेकेलिये निकलते है तो वह अचानक चक्कर आकर गिर जाते है। मोहन को एक बडे हॉस्पिटल के ICU मे रखा जाता है। मोहन की हालत बोहोत ही खराब होती है। ये बात पता चलतेही यशोदा और नंद मोहन को मिलने हॉस्पिटल आते है।

सात्यकी और उद्धव रुक्मिणी को insist करते है के उसने ऑफिस आना शुरू करना चाहीये। नही तो सत्यभामा पुरा business बरबाद कर देगी। रुक्मिणी पेहेले ये बात नही मानती। लेकिन फिर उद्धव उन्हे बोलते है के मोहन भी पेहेले अपने कर्तव्य को महत्व देते है। तब रुक्मिणी मान जाती है और ऑफिस जाना शुरू करती है। वह रोज मोहन को busienss की updates देती है। देवकी रुक्मिणी के इस निर्णय से नाखूष होती है और वह रुक्मिणी को बोहोत बुरा भला केंहेती है। लेकिन रुक्मिणी सिर्फ सून लेती है और फिर भी ऑफिस जाना छोडती नही।

जब मोहन ICU की रूम मे अकेले होते है तो सभी अपने अपने मन की बात उन्हे बोलते है। सभी उनकी जिंदगी मे हो रही गलत बातो का दोष मोहन को देते है।

यशोदा बोलती है के मोहन का शहर आना उन्हे मान्य नही था। मोहन शहर आने के कारण उनसे दूर होगये है और देवकी वसुदेव से close होगये है। और यह बात उन्हे बोहोत बुरी लगती है।

देवकी मोहन को बोलती है के वह उसे अपने लगते है। लेकिन चाहते हुवे भी वह मोहन पर हक नही दिखा सकती। मोहन भी पास होते हुवे भी एक दूरी mentain करते है ऐसें उन्हे लगता है। और इस बात का उन्हे दुख है।

सत्यभामा बोलती है के जो एक गलत डील उसने की थी वह उसने जानबुजकर की थी। वह मोहन को सताना चाहती थी। जिसके कारण मोहन उसके साथ ज्यादा समय बिताते।

अर्जुन को द्रौपदी मदत करने को इन्कार करती है और मोहन के केहेने पर कुंती बुवा कर्ण से बात करती है। कर्ण इन्कार करता है; इन सब बातो का दोष कुंती बुवा मोहन को देती है।

द्रौपदी मोहन को मिलने आती है और बोलती है के अर्जुन आज कल बोहोत शराब पिने लगा है। वह उसे पैसे के लिये बोहोत इनसिस्ट कर रहा है और कुंती भी अपने बेटे की तरफ से बोल रही है। और जब द्रौपदी को मोहन की बोहोत ज्यादा जरूरत है तब मोहन नही है।

मोहन बचपन मे पढाई नही करते थे। तब उनकी यशोदा माँ ने मोहन के स्कुल की टीचर राधा को extra क्लास लेनेकेलीये बोला होता है। राधा टीचर ये जानती है के मोहन बोहोत ही bright student है। अगर उन्हे ठीक से channelise किया तो वह अच्छेसे पढेंगे। ये जानकर राधा टीचर मोहन पर बोहोत मेहेनत लेती है। उसका नतिजा ये होता है के मोहन अच्छे मार्क्स से पास होकर कॉलेज जाते है। लेकिन स्कुल के बाद मोहन कभी राधा टीचर को मिलने नही आते। राधा टीचर के मन को यह बात बोहोत दुखी करती है। अब जब मोहन ICU मे है ये राधा टीचर को पता चलता है तो वह अपने पती अनय को insist करती है के उन्हे मोहन को मिलने जाना ही है। राधा टीचर अब बोहोत ही बुढी होचूकी होती है। वह व्हील चेअर की मदत के बिना कही जा नही सकती। फिर भी राधा टीचर के पती अनय उन्हे लेकर हॉस्पिटल आते है। मोहन को देखकर राधा टीचर बोहोत रोती है। उन्हे रोता देख उनके पती अनयको बोहोत दुख होता है। राधा टीचर को कभी भी न मिलने आने के लिये वह मोहन को दोष देते है।

डॉक्टर्स रुक्मिणी को बोलते है के मोहन को कूच ऐसा प्रॉब्लेम हुवा है के उसका DNA टेस्ट करवाना होगा। जीससे ये पता चाले की क्या damage हुवा है। उद्धव के केहेनेपे रुक्मिणी इस बात की permission देती है। मोहन के प्रॉब्लेम की जांच करने के लिये यशोदा और नंद का DNA टेस्ट किया जाता है। वह मोहन से match नही होता। तभि मोहन के बडे भाई बलराम भी आते है। उनसे मोहन का DNA match होता है। डॉक्टर्स बलराम को बोलते है के उन्हे उनके कूच DNA सेल्स मोहन को देने होंगे। बलराम पुछ्ते है के क्याउसका असर बलराम पर हो सकता है। डॉक्टर बोलते है के कूच महिनो तक हो सकता है। यह बात सुनते ही बलराम इन्कार करते है। उन्हे एक बोहोत बडे कॉम्पितीशन मे हिस्सा लेना होता है; जो अगले ही महिने होती है। बलराम उसकेलीये वह बोहोत महिनोसे work out कर रहे होते है। अब उन्हे रिस्क नही लेनि होती। इतना बोलकर बलराम निकल जाते है।

तब नंद वसुदेव और देवकी को बुला लेते है। असल मे मोहन वसुदेव और देवकी के बेटे होते है। लेकिन मोहन के जन्म के वक्त देवकी को कॅन्सर detect होता है। उसका इलाज ऊस वक्त सिर्फ US मे हो सकता होता है। देवकी मोहन को जन्म देती है तभि यशोदा ने भी एक बच्चे को जन्म दिया होता है। इसलीये वसुदेव नंद को request करते है के क्या उनके आने तक नंद और यशोदा बच्चे को संभालेंगे? नंद और यशोदा यह बात मान लेते है। लेकिन कूच ही दिनो मे यशोदा का बच्चा मर जाता है। यशोदा नंद को बोलती है के वसुदेव और देवकी को बोलना के उनका बेटा मर गया। नंद वही करते है। उसके बाद नंद और वसुदेव तो एक दुसरे से बात करते है; लेकिन यशोदा देवकीसे मिलना या बात करना बंद कर देती है। लेकिन अब जब मोहन की जान पर आती है तो नंद यह सच वसुदेव को बोलते है।

वसुदेव और देवकी अपने DNA सेल्स मोहन को देते है। मोहन ठीक होने लगते है। उन्हे ICU से निकालकर private रूम मे शिफ्ट किया जाता है। यशोदा, देवकी, बलराम, कुंती, अर्जुन, द्रौपदी, सुभद्रा ये सभी मोहन को मिलने नही आते। यह बात मोहन रुक्मिणी को बोलते है। रुक्मिणी बोलती है के जैसे हमने तंय किया था के हम अपनी शादी की सालगिराह मानाएंगे तो रुक्मिणीने उद्धव के साथ मिलकर उसकी तय्यारी की है और तब मोहन को सभी लोग मिलेंगे।

सालगिराह के दिन सभी को लगता है के सब के सामने मोहन मुझे कूच नही कहेंगे तो सभी सालगिराह के समारोह मे आते है।

मोहन सब के सामने देवकी और वसुदेव का introduction अपने माता पिता ऐसा करते है। ये देखकर यशोदा माँ बोहोत दुखी हो जाती है और नंद के साथ वहा से निकल जाने की सोचती है। लेकिन मोहन उन्हे रोक लेते है और बोलते है के दुनिया के लिये यशोदा माँ का निर्णय भले ही गलत था लेकिन ऊस वक्त की उनकी मानसिकता तो देखते वह गलत नही हो सकता। देवकी माँ ठीक होकर जबतक वापस आयी थी तब मोहन बडा होचूका था। तब अगर देवकी माँ को सच पता होता तो वह मोहन को यशोदा से लेकर जाती। लेकिन तब देवकी माँ की तबीयत इतनी अच्छी नही थी के वह खुद का और छोटे बच्चे का खयाल रखसकती। यशोदा माँ के मन मे ये विचार जरूर था। तो यशोदा माँ ने जो भी किया वह मेरेलीये उनके मन मे जो प्यार था और चिंता थी इसलीये किया। फिर यह गलत नही हो सकता; और वैसे भी जब किसीं बच्चे के भाव विश्व को disturb करना अच्छा नही होता। अगर अधेड उमर मे मोहन को बताया जाता के यशोदा और नंद उनके माता पिता नही है तो हो सकता है के वह इमोशनल ट्रॉमा मे जाते और आज उनोन्हे जो achieve किया है वो वह achieve नही कर पाते।

मोहन कर्ण को सब के सामने गले लगा लेते है और बोलते है के कर्ण ना की उनके अच्छे दोस्त है लेकिन कुंती बुवा के बेटे भी है। ये देखकर कुंती और अर्जुन वहा से जाना चाहते है। अर्जुन द्रौपदी को भी चलने को केहेता है। लेकिन द्रौपदी इन्कार करती है। मोहन कुंती और अर्जुन को रोक लेते है और बोलते है के अगर कुंती कर्ण को दुनिया के सामने स्वीकार कर लेती है तो कर्ण के मन का गुबार निकल जाएगा। लेकिन कुंती इस बात को नही मानती। द्रौपदी कुंती को समझाती है के वैसे भी कुंती के करिबी इस सच को जानते है। और जीस दुनिया/ समाज को कुंती डर रही है वह समाज/ दुनिया वैसे भी कुंती को जरूरत होगी तो मदत नही करेंगा। अगर कोई मदत करेंगा तो वह कर्ण ही होगा। कुंती द्रौपदीने कही बात समझ जाती है और कर्ण को सब के सामने स्वीकार करती है।

कुंती कर्ण को स्वीकार करती है; और ऐसा करने केलीये द्रौपदी कुंती को समझाती है; यह बात अर्जुन को अच्छी नही लगती। वह द्रौपदी पर घुस्सा होता है और उसे पार्टी से जबरदस्ती लेकर जाना चाहता है। तब मोहन उसे समझाते है के अगर पुरुष स्त्री का सन्मान करना सिखेगा तो स्त्री out of the way जाकर उसके पिछे खडी राहेगी। पुराने जमानेमे हम स्त्री का सन्मान करते थे। उनकी अपनी सोच थी और वह केहेने का हक उन्हे था। तब पुरुष सिर्फ भोजन का प्रबंध करते थे और बाकी सभी जिमदारिया स्त्री संभालती थी। लेकिन पुरुषो को तब इस बात का एहेसास था; वह इस बात के लिये स्त्री का सन्मान करते थे। आज भी वही होता है; लेकिन हम स्त्री को taken for granted करते है। आज भी स्त्री सबकूच संभालती है। लेकिन हम उसका सन्मान नही करते। उसे किसीं मंदिर मे बिठाने से ज्यादा उसे अपने साथ का दर्जा देना जरुरी है। अगर अर्जुन ये बात समाझेगा और द्रौपदी से respectfully बात करेंगा तो द्रौपदी भी उसके साथ खडी रहेगी। अर्जुन को अपनी गलती का एहेसास होता है। वह द्रौपदी की माफी मांगता है। दोनो एक हो जाते है।

सुभद्रा रेहेती तो मोहन के घर मे ही है। लेकिन मोहन से बात नही करती। उसे लगता है के मोहनने द्रौपदी से बात नही करनी चाहीये। लेकिन मोहन उसकी बात नही सुनता। अभिमन्यू को भी US जानेके लिये मोहन ही बोलता है। सुभद्रा को ये सभी बाते अच्छी नही लगती। सुभद्रा fasion designer है। उसका अपना स्टुडिओ है। यह स्टुडिओ बनाने के लिये सुभद्रा ने बँक से लोन लिया है। उसे ये पता नही होता के मोहन ही उसका गॅरेटर है। जब वह फायनल instolment करने जाती है तब उसे पता चलता है।

अभिमन्यू अपने मामा के शादी की सालगिराह के पार्टी मे आता है। उसने अपने बलबुते पर लंडन मे पढाई की है ये बात वह सब को बताता है। अभिमन्यू contact न रखने के लिये अपनी माँ की माफी मांगता है और बताता है के अगर वह contact रखता तो वह इमोशनल हो जाता और वापस आता। लेकिन उसे अपनेआप को prove करना था। इसलीये उसने contact नही रखा था। ये बात सूनकर सुभद्रा को समझता है के मोहन ने अभिमन्यू को केवल प्रोत्साहन दिया था; financial मदत नही की थी। वह मोहन के गले लग जाती है और माफी मांगती है।

मोहन सब के सामने रुक्मिणी का हाथ थाम लेते है और बोलते है के रुक्मिणी उनका पहाला और आखरी प्यार है। जब उनके पास कूच भी नही था और हालाकी रुक्मिणी ऐश्वर्य मे पली बडी थी; तब केवल मोहन की capacity पर विश्वास रखकर वह मोहन के साथ निकल गयी थी। इसलीये भी मोहन रुक्मिणी का मन से सन्मान करते है। सब के सामने मोहन ये बात बोलते है तो सत्यभामा को insult लगता है। वह उधरसे निकलती है। तब मोहन उसे सब के सामने गले लगा लेते है और बोलते है के सत्यभामा का प्यार सच्चा है लेकिन वह गलत आदमी से प्यार कर रही है। उसने अपनेलिये सही प्यार ढुंडना चाहीये।

मित्रविंदा मोहन को मिलकर माफी मांगती है और बोलती है के मोहन ने उसका praposal regect किया था। इसलीये उसके मन मे मोहन के लिये घुस्सा था। लेकिन जब मोहन हॉस्पिटल मे थे तब रुक्मिणी मित्रविंदा को जाकर मिली थी। रुक्मिणीने मित्रविंदा को बताया था के मोहन आज जीस मकाम पर पोहोचे है वह without any compramaise है। अपने principals follow करके भी अगर कोई इतनी उंचाई हासिल करता है तो केवल किसीं निजी बात के लिये मित्रविंदा ने उनका टेंडर रिजेक्ट करना गलत है। मोहन के टेंडर मे price ज्यादा है ये बात सच है। लेकिन वह काम मे जो material use करते है वह best quality होता है। इसलीये उनके price भी ज्यादा होते है। ये बात मित्रविंदा को समझ आती है। इसलीये वह मोहन का टेंडर पास करती है।

बलराम भी पार्टी मे पोहोचते है। उनोन्हे compitition जित ली होती है। लेकिन सभी बलराम से बात करने से इन्कार कर देते है। बलराम दुखी होकर वहा से निकलनेवाले होते है। मोहन उन्हे रोक लेते है और बोलते है के जैसे यशोदा माँ का निर्णय लोगोंके लिये गलत हो सकता है; लेकिन एक माँ के दिल के लिये वह सही है; उसी प्रकार बलराम भैया का निर्णय भले ही सभी के लिये गलत हो; लेकिन मेरेलीये वह गलत नही है। बलराम भैयाने इस compitition का इंतजार पुरी जिंदगी किया था। और वह बोहोत अच्छी तरह जानते थे की उनोन्हे इन्कार किया तो नंद बाबा देवकी माँ और वसुदेव बाबा से contact कर लेंगे और मोहन बच ही जाएंगे। जब कोई भविष्य मे घटनेवाली घटना की बडी सोच रखकर कूच निर्णय लेता है तो उसने ली हुई रिस्क को हमने support करना चाहीये। अगर आगे जाकर उसका निर्णय भले गलत होगया तो भी उसे दूर नही करना चाहीये। जबतक हम ये बात नही समझेंगे हम अपने relations पक्के नही कर पाएंगे।

इस पार्टी मे अनय आते है और मोहन के हाथ मे राधा टीचर की ओर से गिफ्ट रखते है और बोलते है के राधा टीचर की मदत केलीये मोहन ने भेजी एक बीस साल की लडकी अब उनके साथ ही रेहेती है। मोहन हसकर रुक्मिणी की ओर देखते है। तब रुक्मिणी अनय को केंहेती है के जब अनय राधा टीचर को लेकर हॉस्पिटल आए थे तब उनोन्हे जो भी कहा था वो सब रुक्मिणी ने सून लिया था। मोहन के ऑफिस मे काम करनेवाले एक एम्प्लॉई तभि किसीं बिमारी के कारण चलबसे थे। उनकी अकेली बीस साल की लडकी अनाथ हो गयी थी। रुक्मिणीने सोचा था के ऊस लडकी को घर और अपने लोग मिलजाएंगे और राधा टीचर और अनय को भी मदत हो जाएगी। इसलीये रुक्मिणीने ही मोहन के नाम से चिट्ठी लिखकर ऊस लडकी को अनय के घर भेजा था।

मोहन के हाथ से अनयने दिया गिफ्ट लेनेके लिये दारुकी आता है। तब रुक्मिणी दारुकी को रुकालेती है। दारुकी confuse होता है। तब दारुकी के खंदे पे हाथ रखकर मोहन उसे गले लगा लेते है। दारुकी की आंखे भर आती है। रुक्मिणी दारुकी के हाथो मे एक गिफ्ट देती है। दारुकी इन्कार करता है तब मोहन बोलते है के दारुकी जैसा प्रामाणिक और सच्चा इंनसान हो ही नही सकता। मोहनने काई बार अपने business की importent बाते गाडी मे की होती है। मोहन ये जानते है के आजतक बोहोत से business rivals ने दारुकी को पैसे का लालच देकर information हासिल करने की कोशीष की है। लेकिन दारुकीने कभी भी ऐसा नही किया है। अगर अब भी मोहन ऐसें प्रामाणिक व्यक्ती का आदर नही करेंगे तो लोगोंका अच्छे behaviour से विश्वास उठ जाइगा। मोहन ने कही बात सूनकर सभी इमोशनल होते है।

अब जब सभी खुश है तब मोहन और रुक्मिणी दोनो उद्धव के पास जाते है और उनके पांव छुने के लिये झुकते है। उद्धव उन्हे रोकते है और बोलते है के वह मोहन के छोटे भाई है। तब मोहन उन्हे गले लगातेहुवे बोलते है के अगर रुक्मिणी उनकी परछाई है तो उद्धव उनकी आत्मा है। और आत्मा छोटी या बडी नही होती... वह सिर्फ होती है।



समाप्त

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