Friday, October 21, 2022

सर्वेश्वर (The new age Krushna)

 सर्वेश्वर (The new age Krushna)

तभि उद्धव केबिन मे आते है। उद्धव आते ही मोहन को पुछ्ते है के क्या वह सच मे सत्यभामा के घर डिनर के लिये जा रहे है। मोहन इस बात पर सिर्फ हसते है। उद्धव मोहन को बोलते है के सिर्फ हसने से आज काम नही होगा। उद्धव मोहन को याद दिलाते है की आज मोहन और रुक्मिणी के कॉलेज मे हुई पेहेली मुलाकात की सालगिराह है और फिर बोलते है के यह बात सत्यभामा जानती है इसिलीये उसने मोहन को डिनर पे invite किया है। मोहन उद्धव को बोलते है के सत्यभामा सत्रजीत की बेटी है। मोहन किसीं भी हालत मे वह सत्रजित को hurt नही कर सकते। इसलीये वह सत्यभामा के घर जानेवाले है। ये बात उद्धव को अच्छी नही लगती। लेकिन वह मोहन को कूच नही केहेते। तब मोहन हसतेहुवे उद्धव को बोलते है के वह केवल सत्यभामा का इगो pamper करने उसके घर जानेवाले है। उसका मतलब ये नही होता के वह उसके घर डिनर करेंगे। उद्धव उन्हे पुछ्ते है के क्या सत्यभामा का इगो इतना महत्व रखता है? मोहन हसतेहूवे बोलते है के कभी कभी आपके केवल अच्छे बरताव से ही काम होजाता है। अगर वह सत्यभामा का इगो satisfy करेंगे तो सत्यभामा business मे गलत decissions नही लेगी। तो फिर यह डील बुरी नही है।

सत्यभामा को प्रॉमिस किया होता है तो मोहन उसके घर पोहोचते है। वहा उनकी मुलाकात सत्यभामा के पिता सत्रजीत से होती है। सत्रजीत मोहन को business कैसे चल रहा है ये पुछ्ते है। तभि सत्यभामा आती है। वह बोहोत ही खूबसुरत लग रही होती है। उसने आज मोहन को रोकने की ठान ली होती है। मोहन सत्रजीत को सत्यभामा ने की हुई डील के बारे मे बताना चाहते है। ये बात ध्यान मे आते ही सत्यभामा मोहन को रोकने की बाजाए उन्हे देर हो रही है ऐसा केहेकर जाने के लिये केंहेती है। निकलते वक्त मोहन उसे जताते है के केवल सत्यभामा जाने के लिये केहे रही है इसलीये वह जा रहे है। मोहन के मन का सच जानते हुवे भी सत्यभामा कूच नही कर सकती।

मोहन घर आते है तो देखते है के रुक्मिणी और उद्धव उनकी राह देख रहे होते है। मोहन को जल्दी आया हुवा देख उद्धव खुश हो जाते है और निकल जाते है। रुक्मिणी और मोहन मे बोहोत ही प्यारभरी बाते होती है। तभि रुक्मिणी मोहन को बोलती है के यशोदा माँ सुबह मोहन के जाने के बाद आई थी। रुक्मिणीने उन्हे रोकने की बोहोत कोशीष की लेकिन वह रुकि नही। बस् बार बार पुछ रही थी के क्या मोहनने उनके बारे मे कूच कहा। रुक्मिणी मोहन को बताती है के जब रुक्मिणी ने यशोदा माँ से देवकिजी से मिलने की बात की तो यशोदा माँ वह बात टाल गयी और जल्दी वापस जाना है ऐसा केहेकर निकल गयी। रुक्मिणी को लगता है के यशोदा माँ और देवकीजी के बीच कूच प्रॉब्लेम है। रुक्मिणीने नंद बाबा से सुना था के यशोदा और देवकी पेहेले बोहोत अच्छी दोस्त हुवा करती थी। लेकिन अब एकदुसरेसे बात नही करती। वह ये बात मोहन को बोलती है और बताती है के ऊन दोनो की चुपकी के कारण कोई भी त्योहार अच्छेसे मनाना मुश्किल हो गया है। मोहन इस बात पर हसते है।

मोहन एक बिझनेस कॉन्फरन्स मे जाते है। वहा देश-विदेश से बोहोत लोग आए होते है। मोहन जीस टेबल पर बैठे होते है वही पॅरिस से आयी कालिंदी नाम की एक business woman बैठी होती है। कॉन्फरन्स के विषय थोडे बोअरिंग होते है। तो मोहन ऊब जाते है। वह कॉफी पीने जाना चाहते है। उद्धव उनके साथ जाने के लिये इन्कार करते है; तो मोहन अकेले जाते है। बाहर कॉफी लाऊनज मे कालिंदी भी बैठी होती है। मोहन को अकेले देख वह मोहन से बात करने आती है। मोहन को जब उसका नाम काळींदी है ये समझता है तो वह surprise होते है। कालिंदी केंहेती है के उसके पिता भारत से थे; उनोन्हे उसका नाम कालिंदी रखा था। दोनो मे बाते होती है और तब कालिंदी केंहेती है के अभि अभि उसके लॉयर ने उसे फोन करके बताया के उसका डिव्होर्स पास होगया। ये सुनते ही मोहन कालिंदी को सॉरी केहेते है। तब कालिदी बोलती है के अगर हम happily married केहेते है तो जब कोई अपनी चॉईस से डिव्होर्स ले तो happliy डिव्होर्स ऐसा क्यों नही केहेते? कालिंदी की यह बात मोहन के मन को छुजाती है और वह उसे डिव्होर्स का कारण पुछ्ते है। कालिंदी केंहेती है के उसके पती मे कूच कमी थी इस कारण कालींदी प्रेग्नेंट नही हो पारी थी। लेकिन उसके पती ने सब दोष कालिंदी पर दाल दिया था। ये बात कालिंदीने accepte नही की और उसने कोर्ट मे ये साबित किया के कालिंदीमे कोई दोष नही है; और फिर डिव्होर्स के लिये applay किया था। मोहन और कालिंदीमे बोहोत बाते होने लगती है। एक पल ऐसा आता है के वह दोनो एकदुसरे के करिब आते है। जब दोनो होश मे आते है तो मोहन कूच केहेने से पेहेले ही कालिंदी खुद उन्हे केंहेती है के यह शाम वह कभी भी नही भुलेगी। लेकीन आज के बाद वह मोहन को कभी मिलेगी भी नही। मोहन उसे केहेते है के उन्हे कालिंदी का मोह कूच पलो के लिये हुवा; लेकिन उसका उन्हे दुख नही है। लेकिन ये बात भी सच है के वह अपनी पत्नी रुक्मिणी से बोहोत प्यार करते है। दोनो हसकर एकदुसरे को बाय बोलते है और निकलते है।

मोहन का बचपन का दोस्त पेंद्या अब उसी शहर मे एक private कंपनी मे जॉब करता है। वह एकदम middle class होता है। अपनी जॉब और अपनी छोटीसी फॅमिली life इसमे वह बोहोत खुश होता है। एकबार वह मोहन को देख लेता है। पेहेलीबार मोहन से बात करनेको वह झिजकता है। लेकिन मोहन उसे देखते ही गले लगा लेते है और बोलते है की वह कभी भी उन्हे मिलने आ सकता है। मोहन को उससे मिलनेमे कोई आपत्ती नही है; ये जब पेंद्या को समझता है तो वह बोहोत खुश हो जाता है; और फिर वह अपने छुट्टी के दिन या फिर मोहन के ऑफिस के पास किसीं काम के लिये आता है तो मोहन को मिलने आने लगता है। मोहन किसीं भी मीटिंग मे हो या कूच जरुरी काम कर रहे हो; जब भी पेंद्या आता है तो वह सब काम दूर करके उसके साथ थोडा वक्त बिताया करते है। पेंद्या आकर मोहन के साथ हक से चाय पिता है और फिर निकल जाता है। उद्धव को पेंद्या का इस तरह आना अच्छा नही लगता। वह मोहन को पुछ्ते है के मोहन पेंद्या जैसे एक सामान्य आदमी को इतना entertent क्यों करते है। मोहन उद्धव को बताते है के सबसे pure hearted अगर कोई है तो ये पेंद्या। एक छोटीसी कंपनी मे एक क्लार्क है वह। हो सकता है के उसके घर मे financial प्रॉब्लेम्स हो। लेकिन इस बारेमे वह कभी भी बात नही करता। वह मोहन के साथ बचपन मे की मस्ती की बाते करता है। इसलीये मोहन उसके साथ वक्त बिताकर बोहोत फ्रेश होजाते है। आज भी कोई इतना innocent होता है ये देखकर मोहन को अच्छा लगता है। इसलीये फिर पेंद्या कभी कभी irritating behaviour करता है फिर भी मोहन वह आते ही अपना सब काम बाजूमे रखकर उससे बाते करते है।

मोहन की कंपनीने गव्हर्नमेंट का एक टेंडर भरा होता है। वह टेंडर रिजेक्ट होता है। सात्त्यकी ये बात मोहन को बोलते है। मोहन रिजेक्शन का कारण पुछ्ते है तो सात्त्यकी बताते है के नयी IAS ऑफिसर आयी है। उसने competative रेट्स न होने की वजह से टेंडर रिजेक्ट किया है। मोहन टेंडर की फाईल मंगवाते है और पुरी तरह पढ लेते है। फिर वह जाम्बवती को बोलकर उस IAS ऑफिसर की apointment फिक्स करवाते है।

मित्रविंदा मोहन के कॉलेज की दोस्त होती है। दोनो एक दुसरे को बोहोत पसंद करते है। दोनो मे बोहोत गेहेरी दोस्ती होती है। मित्रविंदा धिरे धिरे मोहन से प्यार करने लगती है। और फिर एक दिन वह खुद मोहन को prapose करती है। तब मोहन उसे बताते है के वह रुक्मिणी से प्यार करते है। मोहन मित्रविंदा को केहेते है के उन्हे वह पसंद है....लेकिन केवल एक दोस्त के नाते। मित्रविंदा का दिल तूट जाता है। वह बिना किसकी को बोले कॉलेज और अपनी पढाई छोडकर चली जाती है। वही मित्रविंदा अब IAS ऑफिसर बनकर वापस आती है। मोहन जब IAS ऑफिसर को उसके ऑफिस मिलने जाते है तो मित्रविंदा को देखकर खुश होते है। लेकिन मित्रविंदा उन्हे पेहेचान नही दिखाती। मोहन confuse हो जाते है और काम की बात करना चाहते है। मित्रविंदा उनकी बात सूननेको इन्कार करती है। मोहन वहा से निकल जाते है।


क्रमशः 

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