Love in the air
मिठे सपनो की कुच यादे;
गिली रेत के कुच किस्से हैं...
ठंडी हवा के झोके हैं कुच;
लटो में उलझे कुछ चेहेरे हैं...
निले आस्मा में तपता सूरज...
साहिल ढूंढती एक कश्ती हैं...
गोते खाते कुच अरमान...
और.. दूरतक उठती तरंगे हैं...
कही दूsssर दहाड़ते बादल...
चमकती बिजली की हलचल...
आशा-निराशा की उठती वो लेहेरे...
और जमीन पे उठती सरसराहट हैं...
ये सभी मेरे.. और हम होचुके उनके..
जिन्हें कुछ पता भी नही..
या ये समझे... के सबकुच पता है...
नासमझ होने की उनकी अदा हैं...
बहोत खूब
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